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At the Feet of The Mother

SAVITRI Book Ten. Canto Two (Eng-Hindi)

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BOOK TEN. THE BOOK OF THE DOUBLE TWILIGHT

Canto Two. The Gospel of Death and Vanity of the Ideal

 

Then pealed the calm inexorable voice:
Abolishing hope, cancelling life’s golden truths,
Fatal its accents smote the trembling air.

एक बार फिर यह शान्त निर्मम गिरा गूंज उठी:
आशा को मिटाती, जीवन के सुनहरे सत्यों का खण्डन करती,
अपने घातक उच्चारणों से वायुमण्डल को कंपकंपाती।

That lovely world swam thin and frail, most like
Some pearly evanescent farewell gleam
On the faint verge of dusk in moonless eves.

वह क्षीण मनोहर-जगती अभी भी तैर रही थी, निर्बल-सी
एक मुक्ताभा क्षणजीवी किरण सम विदा लेती-सी
शशिविहीन संध्या में धुंध के धूमिल क्षीण तट पर झिलमिला रही थी।

“Prisoner of Nature, many-visioned spirit,
Thought’s creature in the ideal’s realm enjoying
Thy unsubstantial immortality
The subtle marvellous mind of man has feigned,
This is the world from which thy yearnings came.

‘‘पार्थिव स्वभाव की ओ बंदिनी, विविध-दर्शनों की द्रष्टा ओ आत्मा,
मनीषी प्राणी तू इस आदर्श के राज्य में
अपनी सारहीन अमरता का सुख भोग रही है,
जिसे मानव के सूक्ष्म चमत्कारी चित्त ने कल्पना से रचा है,
यही वह जगत् है जहां से तेरी लालसाएं उदित होती हैं।

When it would build eternity from the dust,
Man’s thought paints images illusion rounds;
Prophesying glories it shall never see,
It labours delicately among its dreams.

जब यह रजकण से शाश्वतता की रचना कर लेता है,
तब मनुष्य का विचार मायावी प्रतिबिम्बो में रंग भर संभ्रमित हो जाता है;
उन महिमाओं की भविष्यवाणी करता है जो कभी सत्य नहीं हो सकेंगी,
पर यह अपने सपनों के मध्य सुकुमारता से श्रम में लगा रहता है।

Behold this fleeing of light-tasselled shapes,
Aerial raiment of unbodied gods;
A rapture of things that never can be born,
Hope chants to hope a bright immortal choir;
Cloud satisfies cloud, phantom to longing phantom
Leans sweetly, sweetly is clasped or sweetly chased.

प्रकाश के गुच्छों से निर्मित इन भागती आकृतियों को तनिक देख ले,
निराकारी देवताओं के ये उड़ते परिधान हैं;
पदार्थों का एक आह्लाद है जो कभी जन्म नहीं ले सका,
यह आशा के प्रति आशा का एक दीप्तिमय अमर संगीत है;
यहां मेघ में मेघ तुष्टि पाता है, परछाईं की लालसा छाया की ओर है
यह मधुर अवलम्बन है, मधुर आलिंगन है या पीछा करने की मिठास है।

This is the stuff from which the ideal is formed:
Its builder is thought, its base the heart’s desire,
But nothing real answers to their call.

यही वह द्रव्य है जिससे इस आदर्श की रचना हुई है:
इसका रचनाकार विचार है, हृदय की कल्पना इसका आधार है,
किन्तु उनके आवाहन का कोई यथार्थ सत्य उत्तर नहीं देता।

The ideal dwells not in heaven, nor on the earth,
A bright delirium of man’s ardour of hope
Drunk with the wine of its own phantasy.

इस आदर्श लोक का धाम न स्वर्ग में है, न धरती पर है,
मानव की तीव्र आशा का यह एक चमकीला प्रत्युत्तरी उन्माद है
जिसने अपनी आत्म-कल्पना को मदमस्त सुरा का पान किया है।

It is a brilliant shadow’s dreamy trail.

यह तो स्वप्निल पगडण्डी की एक उज्ज्वल छाया है।

Thy vision’s error builds the azure skies,
Thy vision’s error drew the rainbow’s arch;[607]
Thy mortal longing made for thee a soul.

तेरे दृष्टि-भ्रम ने इन नील गगनों को रच दिया है,
तेरी दृष्टि की मरीचिका ने इन्द्रधनुष को अर्ध-गोलाकार बनाया है;
वैसे ही तेरी मानवीय लालसा ने तेरे लिए एक आत्म-सत्ता को सिरजा है।

This angel in thy body thou callst love,
Who shapes his wings from thy emotion’s hues,
In a ferment of thy body has been born
And with the body that housed it it must die.

यह तेरी देह में बसा देवदूत जिसे तूने प्रेम का नाम दिया है,
जो तेरी भावनाओं के रंगों से निज पंखों को सजा लेता है,
यह तेरी देह के उफान से जन्म लेता है
और इस देहरूपी आवास के नष्ट हो जाने पर मर जाता है।

It is a passion of thy yearning cells,
It is flesh that calls to flesh to serve its lust;
It is thy mind that seeks an answering mind
And dreams awhile that it has found its mate;
It is thy life that asks a human prop
To uphold its weakness lonely in the world
Or feeds its hunger on another’s life.

यह तेरी दैहिक ग्रन्थियों से स्त्रवित होता एक आवेश-ज्वार है,
एक शरीर की दूसरे शरीर को अपने भोग हित पुकार है;
यह तेरा मन भी एक अन्य प्रत्युत्तरी मानस को खोजता है
और कुछ समय के लिए निज सहचर को पा सपने में खो जाता है;
यह तेरा जीवन है जो एक दूसरे मनुष्य का सहारा मांगता है
जिससे यह निज एकाकी दुर्बलता में संभल खड़ा हो पाये
या यह अपनी भूख को एक अन्य जीवन से तृप्त कर सके।

A beast of prey that pauses in its prowl,
It crouches under a bush in splendid flower
To seize a heart and body for its food:
This beast thou dreamst immortal and a god.

एक शिकारी जानवर है जो अपनी खोज में तनिक विराम करने,
एक पुष्पित सुन्दर झाड़ी के नीचे छिपकर बैठा रहता है
किसी हृदय और देह को निज भोजन हित धर लेने कोः
इस पशु में तू देवत्त्व और अमरत्व का सपना देखती है।

O human mind, vainly thou torturest
An hour’s delight to stretch through infinity’s
Long void and fill its formless, passionless gulfs,
Persuading the insensible Abyss
To lend eternity to perishing things,
And trickst the fragile movements of thy heart
With thy spirit’s feint of immortality.

हे मानव मन, व्यर्थ ही स्वयं को तू यन्त्रणा दे रही है
एक घड़ी के सुख को तू अनन्तता तक खींच रही है
इस दीर्घ-शून्य और इसकी आकारहीनता को भरने,
इसके आवेशहीन गर्तों को पाटने, इस अचेत घोर अचित् गर्त को
फुसला रही है, इन नश्वर वस्तुओं को नित्यता उधार देने,
और अपने हृदय की क्षणिक प्रवृत्तियों को
अपनी आत्मतत्त्व की अमरता के बुलावे द्वारा छल रही है।

All here emerges born from Nothingness;
Encircled it lasts by the emptiness of Space,
Awhile upheld by an unknowing Force,
Then crumbles back into its parent Nought:
Only the mute Alone can ever be.

यहां पर समष्टि शून्य-असत् से जन्म ले व्यक्त होती है;
परमाकाश की शून्यता द्वारा घिरी कुछ काल स्थित रहती है,
एक अज्ञात परमाशक्ति इसे कुछ समय तक धारण करती है,
फिर चूर्ण-विचूर्ण हो यह अपने जनक शून्य-निर्वाण में लय हो जाती है:
केवल वह मूक परमैकम् यहां सतत रह सकता है।

In the Alone there is no room for love.

उस एकाकी कैवल्य में प्रेम हित कोई स्थान नहीं है।

In vain to clothe love’s perishable mud
Thou hast woven on the Immortal’s borrowed loom
The ideal’s gorgeous and unfading robe.

व्यर्थ ही तूने इस प्रेम की नश्वर माटी को सजाने के लिए
अमर देवों से उधार लिये करघे पर बुन डाला है
इस आदर्श के भव्य और अमिट परिधान को।

The ideal never yet was real made.

यह आदर्श तो अभी तक यथार्थ भी नहीं बन पाया है।

Imprisoned in form that glory cannot live;
Into a body shut it breathes no more.

आकार में बन्दी हो यह भव्य सौन्दर्य कभी जीवित नहीं रह पायेगा;
एक देह में कैद हो यह श्वास नहीं ले पायेगा।

Intangible, remote, for ever pure, [608]
A sovereign of its own brilliant void,
Unwillingly it descends to earthly air
To inhabit a white temple in man’s heart:
In his heart it shines rejected by his life.

यह अप्रत्यक्ष, सुदूर, सतत विशुद्ध है,
यह तो अपने दीप्तिमय शून्य का एक सम्राट है,
अनिच्छा से यह पार्थिव परिवेश में उतरता है
मानव हृदय के एक शुभ्र मन्दिर में आवास बनाने आता हैः
यह मानव जीवन से बहिष्कृत हो उसके हृदय में चमकता है।

Immutable, bodiless, beautiful, grand and dumb,
Immobile on its shining throne it sits;
Dumb it receives his offering and his prayer.

अविकारी निराकारी, सुन्दर, भव्य और मूक,
अचल, स्थिर अपने दीप्तिमय सिंहासन पर आसीन है;
मौन यह मानव की अर्चना और भेंट स्वीकारता है।

It has no voice to answer to his call,
No feet that move, no hands to take his gifts:
Aerial statue of the nude Idea,
Virgin conception of a bodiless god,
Its light stirs man the thinker to create
An earthly semblance of diviner things.

उसकी पुकार का उत्तर देने को इसके पास गिरा नहीं है,
चलने को पग नहीं हैं, भेंट लेने को हाथ नहीं है:
यह दिव्य भाव की नग्न सूक्ष्म आकाशीय प्रतिमा है,
एक अशरीरी देवता की अछूती धारणा है।
इसका प्रकाश इस मानव मनीषी को सर्जन हित प्रेरित करता है
तभी वह दिव्य पदार्थों की एक पार्थिव छवि बना लेता है।

Its hued reflection falls upon man’s acts;
His institutions are its cenotaphs,
He signs his dead conventions with its name;
His virtues don the Ideal’s skiey robe
And a nimbus of the outline of its face:
He hides their littleness with the divine Name.

इसका रंगीन प्रतिबिम्ब मानव के कर्मों पर गिरता है;
उसकी संस्थाएं इसी के स्मारक हैं,
वह अपनी मृत परम्पराओं पर इसी के नाम से हस्ताक्षर करता है;
मानव के सद़्गुणों ने इस दिव्य-आदर्श का उच्च परिधान धारण कर रखा है
और इसके मुखमण्डल की प्रभामयी बहिर्-रेखा को अपना लिया है:
मानव ने उनकी लघुता को दिव्य नाम के पीछे छिपा लिया है।

Yet insufficient is the bright pretence
To screen their indigent and earthy make:
Earth only is there and not some heavenly source.

फिर भी यह प्रतिभाशाली चमकता ढोंग पर्याप्त नहीं है
सद़्गुणओं की दीनता और पार्थिव बनावट पर पर्दा डालने के लिए:
यहां पर सब भौतिक पृथ्वी का ही है और यहां कोई स्वर्गिक स्रोत नहीं हैं।

If heavens there are they are veiled in their own light,
If a Truth eternal somewhere reigns unknown,
It burns in a tremendous void of God;
For truth shines far from the falsehoods of the world;
How can the heavens come down to unhappy earth
Or the eternal lodge in drifting time?

यदि स्वर्ग हैं भी तो वे अपने आत्मप्रकाश में छिपे हैं,
यदि एक शाश्वत परम सत्य का कहीं अज्ञात भाव से शासन चलता भी है,
तो यह परम ब्रह्म की घोर शून्यता में प्रज्वलित है;
क्योंकि यदि संसार के मिथ्यातत्त्वों से दूर सत्य प्रकाशमान होता है;
इस दुःखी धरती पर स्वर्ग कैसे अवतरित हो सकता है
या चिरन्तन इस काल के बहाव में उतर सकता है?

How shall the Ideal tread earth’s dolorous soil
Where life is only a labour and a hope,
A child of Matter and by Matter fed,
A fire flaming low in Nature’s grate,
A journey’s toilsome trudge with death for goal?

धरती की व्यथित माटी पर यह अभीष्ट आदर्श कैसे विचरेगा
जहां जीवन केवल एक कठोर श्रम और एक आशा है,
यह जड़तत्त्व का एक बालक और जड़तत्त्व से पोषण पाता है,
विश्व-प्रकृति की चूल्हे में जलती एक मद्धिम चिनगारी है,
त्रिकाल युग के पथ पर माथा पटकती एक लहर है,
मृत्यु को लक्ष्य बनाती यह यात्रा की श्रमसाध्य घिसटन नहीं है क्या?

The Avatars have lived and died in vain,
Vain was the sage’s thought, the prophet’s voice;
In vain is seen the shining upward Way.[609]

अवतारों ने यहां जन्म लिया और व्यर्थ हो मर गये,
ऋषि के चिन्तन-मनन, पैगम्बर के वचन सब व्यर्थ रहे;
ऊर्ध्व की ओर जाते प्रदीप्त दिव्य पथ की ओर ताकना भी व्यर्थ है।

Earth lies unchanged beneath the circling sun;
She loves her fall and no omnipotence
Her mortal imperfections can erase,
Force on man’s crooked ignorance Heaven’s straight line
Or colonise a world of death with gods.

इस परिक्रमा करते सूर्य तले यह पृथ्वी अपरिवर्तित पड़ी है,
उसे अपने पतन से प्रेम है और उसकी नश्वर अपूर्णताओं को
कोई सर्वशक्तिमत्ता परिपूर्ण नहीं कर सकती है,
मानव के विकृत अज्ञान पर स्वर्ग की सीधी रेखा आरोपित नहीं हो सकती है
या मर्त्यलोक में देवताओं को बसा नहीं सकती है।

O traveller in the chariot of the Sun,
High priestess in the holy fancy’s shrine
Who with a magic ritual in earth’s house
Worshippest ideal and eternal love,
What is this love thy thought has deified,
This sacred legend and immortal myth?

सूर्य-रथ पर यात्रा करती ओ पर्यटक,
पावन-अभीष्ट कल्पना के अपने मन्दिर की मुख्य पुजारिन
इस धरा-धाम पर मायावी अनुष्ठान सम्पादित करती
शाश्वत प्रेम और आदर्श को इष्ट सम पूजती है,
यह प्रेम है क्या जिसे तेरे विचारों ने दिव्यता प्रदान कर दी है,
यह पवित्र आख्यान और अमर पौराणिक गाथा क्या है?

It is a conscious yearning of thy flesh,
It is a glorious burning of thy nerves,
A rose of dream-splendour petalling thy mind,
A great red rapture and torture of thy heart.

यह तो तेरी देह की एक सचेत लालसा है,
तेरी कोशिकाओं में प्रज्वलित एक भव्य ज्वाला है,
तेरे चित्ताकाश की स्वप्निल शोभा में प्रस्फुटित एक गुलाब है,
एक महान् अनुरागपूर्ण अरुण आह्लाद है और तेरे हृदय की वेदना है।

A sudden transfiguration of thy days,
It passes and the world is as before.

इससे तेरे दिवसों में एक हठात् अद्भुत परिवर्तन आ जाता है,
जब यह चला जाता है यह संसार पहले जैसा ही रह जाता है।

A ravishing edge of sweetness and of pain,
A thrill in its yearning makes it seem divine,
A golden bridge across the roar of the years,
A cord tying thee to eternity.

यह माधुर्य और पीड़ा की एक अनुपम मोहक धार है
जिसकी लालसा की पुलकन इसे दिव्य सम बना देती है,
वर्षों की गर्जना के उस पार तक जाता एक स्वर्ण-सेतु है,
तुझे चिरन्तनता से बांधता एक सूत्र है।

And yet how brief and frail! how soon is spent
This treasure wasted by the gods on man,
This happy closeness as of soul to soul,
This honey of the body’s companionship,
This heightened joy, this ecstasy in the veins,
This strange illumination of the sense!

और फिर भी कितना क्षणिक और भंगुर है! कितनी शीघ्रता से
यह कोष चुक जाता है जिसे मानव पर निष्फल ही देवों द्वारा लुटाया जाता है,
यह अति सुखद साहचर्य आत्मा का आत्मा से मिलन जैसा है,
इस देह की सहभागिता का यह मधु-कोष है,
यह हर्ष की उन्नत स्थिति है, नारियों में उमड़ता आह्लाद है,
दैहिक इन्द्रियानुभव की यह विचित्र दीप्ति है!

If Satyavan had lived, love would have died;
But Satyavan is dead and love shall live
A little while in thy sad breast, until
His face and body fade on memory’s wall
Where other bodies, other faces come.

क्योंकि यदि सत्यवान् जीवित रहता, प्रेम निश्चय ही मर जाता;
अब क्योंकि सत्यवान् मर गया है अत: प्रेम जीवित रहेगा
तेरे उदास वक्ष में कुछ अवधि तक बचा रहेगा,
जब तक तेरे स्मृति-पटल से उसकी देह औ’ मुख धुंधला नहीं जाता
और उसका स्थान अन्य शरीर औ’ मुख नहीं ले लेता।

When love breaks suddenly into the life
At first man steps into a world of the sun;
In his passion he feels his heavenly element:
But only a fine sunlit patch of earth[610]
The marvellous aspect took of heaven’s outburst.
The snake is there and the worm in the heart of the rose.

इस जीवन में जब हठात् प्रेम प्रस्फुटित हो उठता है
तब मानव के चरण पहली बार सूर्यलोक में विचरते हैं;
अपने भावावेश में वह स्वर्गिक तत्त्वों का अनुभव पाता है:
किन्तु यह तो धरती का एक मनोहर मुदित धूप में खिला टुकड़ा है
अलौकिक विस्फोट का यह अद्भुत चमत्कारी पक्ष है;
इस गुलाब के हृदय में विषधर और कीट का भी वास है।

A word, a moment’s act can slay the god;
Precarious is his immortality,
He has a thousand ways to suffer and die;
Love cannot live by heavenly food alone,
Only on sap of earth can it survive.

एक शब्द, एक पलभर का कर्म इस देवता का वध कर सकता है;
उसकी अमरता क्षणिक और दैवाधीन है,
वह सहस्र विधाओं से दुःख भोगता और मरता है।
प्रेम मात्र स्वर्गिक पोषण से जीवित नहीं रह सकता है,
केवल धरती का रस ही इसे यहां जिंदा रख सकता है।

For thy passion was a sensual want refined;
A hunger of the body and the heart;
Thy want can tire and cease or turn elsewhere
Or love may meet a dire and pitiless end
By bitter treason, or wrath with cruel wounds
Separate, or thy unsatisfied will to others
Depart when first love’s joy lies stripped and slain:
A dull indifference replaces fire
Or an endearing habit imitates love:
An outward and uneasy union lasts
Or the routine of a life’s compromise.
Where once the seed of oneness had been cast
Into a semblance of spiritual ground
By a divine adventure of heavenly powers
Two strive, constant associates without joy,
Two egos straining in a single leash,
Two minds divided by their jarring thoughts,
Two spirits disjoined, for ever separate.

क्योंकि तेरा भावावेश एक विषयेच्छा का परिष्कृत रूप है
इस देह की एक भूख और हृदय का एक अभाव है;
अत: तेरी चाहना क्लान्त हो मिट सकती है या अन्य की ओर मुड़ सकती है।
या प्रेम का भी एक निर्दय और दारुण अन्त हो सकता है
किसी कटु प्रपंच द्वारा, या निष्ठुर घावों से क्रोध में पृथक् हो सकता है,
जब तेरी अतृप्त इच्छा अन्यों की ओर मुड़ जाती है
तब प्रथम प्रेम हर्षविहीन नग्न और निहत, विदा हो जाता है:
एक मन्द उदासीनता इस अग्नि का स्थान ले लेती है
या प्रीति करने की आदत प्रेम की नकल बन रह जाती है:
एक ऊपरी अशान्त गठबन्धन बस चलता रहता है
या एक समझौते की दिनचर्या में जीवन बीतता जाता है:
कभी एकात्मता का यह बीज इस आध्यात्मिक सम दिखती
नर देहरूपी माटी में, स्वर्गिक देवशक्तियों द्वारा
एक दिव्य साहसी यात्रा के मध्य यहां बोया गया था,
पर अब वे दोनों, हर्ष से हीन सतत साहचर्य में संघर्षरत हैं;
दो अहंकार एक अकेले पट्टे से बंधे एक-दूसरे को खींचते हैं,
दो मन अपने टकराते विचारों द्वारा विभाजित रहते हैं,
दो जीव-सत्ताएं हैं जो टूट चुकी हैं, पर वे सदैव पृथक् ही थीं।

Thus is the ideal falsified in man’s world;
Trivial or sombre, disillusion comes,
Life’s harsh reality stares at the soul:
Heaven’s hour adjourned flees into bodiless Time.

इस प्रकार मनुष्य लोक में यह प्रेम का आदर्श मिथ्या हो जाता है;
तुच्छ या निराशापूर्ण, मोह टूट जाता है,
तब जीवन का कटु यथार्थ आत्म-पुरुष को घूरता है:
स्वर्गिक पल समाप्त हो निराकारी महाकाल में उड़ जाता है।

Death saves thee from this and saves Satyavan:
He now is safe, delivered from himself;
He travels to silence and felicity.

इस सबसे मृत्यु ने तुझे और सत्यवान् को बचा लिया है:
स्वयं से मुक्त हो अब वह सुरक्षित है;
वह शान्ति और आनन्द की ओर प्रयाण कर रहा है।

Call him not back to the treacheries of earth
And the poor petty life of animal Man.

पृथ्वी की यातनाओं की ओर उसे पुकार न दे
इस पशुमानवीय तुच्छ जीवन की दरिद्रता में बसने।

In my vast tranquil spaces let him sleep
In harmony with the mighty hush of death [611]
Where love lies slumbering on the breast of peace.

मेरे शान्त आकाशों के विस्तार में उसे सोने दे
मृत्यु की शक्तिशाली नीरवता के साथ एकस्वर होने दे
जहां प्रेम भी शान्ति के वक्ष पर शीश धर सोया है।

And thou, go back alone to thy frail world:
Chastise thy heart with knowledge, unhood to see,
Thy nature raised into clear living heights,
The heaven-bird’s view from unimagined peaks.

और तू, अकेली अपनी नश्वर धरती पर लौट जा:
अपने हृदय को ज्ञानाग्नि में तपा, देखने को अज्ञान का पर्दा हटा,
तूने अपने स्वभाव को स्पष्ट सचेत संजीवित शिखरों तक उठा लिया है,
अकल्पित उच्चताओं से गरुड़देव की दृष्टि से नीचे अवलोका है।

For when thou givest thy spirit to a dream
Soon hard necessity will smite thee awake:
Purest delight began and it must end.

पर जब तू निज चेतना को एक सुषुप्ति-स्वप्न में लीन कर देगी
तब शीघ्र ही कठोर जड़ अनिवार्यता तुझे कचोट अवश्य जगायेगी:
यदि विशुद्धतम अन्तर-प्रसाद आरम्भ होता है तो समाप्त अवश्य होगा ही।

Thou too shalt know, thy heart no anchor swinging,
Thy cradled soul moored in eternal seas.

यह ज्ञान तू प्राप्त कर ले, तेरा हृदय कोई झूलता हुआ लंगर नहीं है,
तेरी आत्मा तो शाश्वत के सागरों में बंधे पालने पर लेटी है।

Vain are the cycles of thy brilliant mind.

तेरे प्रतिभाशाली मन के आवर्तन सब निष्फल हैं।

Renounce, forgetting joy and hope and tears,
Thy passionate nature in the bosom profound
Of a happy Nothingness and wordless Calm,
Delivered into my mysterious rest.

इसे त्याग दे, हर्ष और आशा एवं अश्रुओं को बिसार दे,
एक सुखी शून्यब्रह्म और निःशब्द चरम महाशान्ति के
गहन अन्तर में अपनी आवेशपूर्ण प्रकृति से मुक्ति पा ले,
मेरे गुह्य विश्राम में मोक्ष को प्राप्त कर ले।

One with my fathomless Nihil all forget.

मेरे अगाध चिर नकार से एकत्व प्राप्त कर सब भूल जा,

Forget thy fruitless spirit’s waste of force,
Forget the weary circle of thy birth,
Forget the joy and the struggle and the pain,
The vague spiritual quest which first began
When worlds broke forth like clusters of fire-flowers,
And great burning thoughts voyaged through the sky of mind
And Time and its aeons crawled across the vasts
And souls emerged into mortality.”

अपनी निष्फल चैत्य सत्ता की शक्ति की व्यर्थता को भूल जा,
अपने जन्म के क्लान्त आवागमन-चक्र को भूल जा,
इस हर्ष, इस संघर्ष और उस पीड़ा को भूल जा,
जिसने सर्वप्रथम इस धूमिल आध्यात्मिक खोज का आरम्भ किया था
जब ये लोक फुलझड़ियों के गुच्छों समान प्रस्फुटित हुए थे,
और महान् ज्वलन्त संकल्प के मनाकाश के मध्य दौड़ पड़े थे
और महाकाल अपने युगों के साथ इन विशालताओं में घिसट रहे थे
और जब जीवात्माएं मर्त्यलोक में प्रकटी थीं।’’

But Savitri replied to the dark Power:
“A dangerous music now thou findst, O Death,
Melting thy speech into harmonious pain,
And flut’st alluringly to tired hopes
Thy falsehoods mingled with sad strains of truth.

किन्तु सावित्री ने उस काली महाशक्ति को उत्तर दिया:
‘‘हे यम, अब तो तू एक खतरनाक राग आलाप रहा है,
अपनी वाणी को एक पीड़ा के संगीत में पिघला रहा है,
और थकित आशाओं को निज-वंशी की धुन से रिझा रहा है
तू ने मिथ्या वचनों के साथ सत्य की उदास तान जोड़ दी है।

But I forbid thy voice to slay my soul.

किन्तु मैं अपनी आत्मा का हनन तेरी वाणी को नहीं करने दूंगी।

My love is not a hunger of the heart,
My love is not a craving of the flesh;
It came to me from God, to God returns.

मेरा प्रेम मेरे प्राण की कोई भूख नहीं है;
मेरा प्रेम देह की लालसा या वासना नहीं है,
यह तो मुझे प्रभु से मिला वरदान है, और प्रभु को ही समर्पित है।

Even in all that life and man have marred,
A whisper of divinity still is heard,
A breath is felt from the eternal spheres.[612]

यहां तक कि उस समस्त में जिसे जीवन और मानव ने दूषित किया है,
अभी भी दिव्यता की एक फुसफुसाहट सुनायी दे जाती है,
परम चिरन्तन स्तरों से उतरे एक श्वास की अनुभूति आती है।

Allowed by Heaven and wonderful to man
A sweet fire-rhythm of passion chants to love.

मनुष्य के हित चमत्कारी और स्वर्ग द्वारा आदेशित
आवेश की एक मधुर ज्वलंत प्रेम की धुन गुंजित होती है।

There is a hope in its wild infinite cry;
It rings with callings from forgotten heights,
And when its strains are hushed to high-winged souls
In their empyrean, its burning breath
Survives beyond, the rapturous core of suns
That flame for ever pure in skies unseen,
A voice of the eternal Ecstasy.

जिसकी पाशविक क्षणिकता की पुकार में एक आशा ध्वनित है;
यह विस्मृत उच्चताओं से उतरे आवाहनों से गुंजित है,
और जब इस आवेश के स्वर उच्च उड़ान भरती आत्माओं हित
आकाश में मौन हो जाते हैं, पर इसके ज्वलंत उच्छ्वास
परात्पर में जीवित रहते हैं, सूर्यों के हर्ष-विह्वल मर्मस्थल के रूप में
यह ज्वाला सतत विशुद्धता में अगोचर गगनों में प्रज्वलित है,
यह शाश्वत आत्माह्लाद की एक वाचा है।

One day I shall behold my great sweet world
Put off the dire disguises of the gods,
Unveil from terror and disrobe from sin.

एक दिन मैं अपनी प्रिय इस महान् जगती को
देवताओं के इन घोर आवरणों से उदित होते देखूंगी,
इसे भय का घूंघट और पाप का परिधान उतारते अवलोकूंगी।

Appeased we shall draw near our Mother’s face,
We shall cast our candid souls upon her lap;
Then shall we clasp the ecstasy we chase,
Then shall we shudder with the long-sought god,
Then shall we find Heaven’s unexpected strain.

हम दोनों तब शान्ति से पूरित माता के समीप खिंच आयेंगे,
हम अपनी चैत्य-सरल आत्माओं को उसकी गोद में धर देंगे;
तब हम उस परमानन्द को जिसके पीछे हम दौड़ते हैं आलिंगन में बांध लेंगे,
हम आदिकाल से खोजते उस देवता से पुलकित एक हो जायेंगे,
हम सुरलोक के उस अप्रत्याशित स्वर को यहां पा जायेंगे।

Not only is there hope for godheads pure;
The violent and darkened deities
Leaped down from the one breast in rage to find
What the white gods had missed: they too are safe;
A Mother’s eyes are on them and her arms
Stretched out in love desire her rebel sons.

यह आशा यहां पर केवल विशुद्ध दिव्यात्माओं हित ही नहीं है;
वरन् हिंसक और काली तामसिक दिव्यताएं
जो उसी मूल उद़्गम से रौद्ररूपा नीचे कूद आयी थीं
उस सद्वस्तु को पाने के लिए, जिसे शुद्धात्माओं ने खो दिया था:
वे भी इस पृथ्वी पर सुरक्षित हैं; एक भगवती माता की दृष्टि उन पर है
और उसकी बांहें अपनी विद्रोही सन्तानों को प्रेम से बांध लेने को फैली हैं।

One who came, love and lover and beloved
Eternal, built himself a wondrous field
And wove the measures of a marvellous dance.

ऊर्ध्व से उतरा परमैकम् यहां पर प्रेम औ’ प्रेमी एवं प्रियतमा है,
उसी चिरन्तन ने अपने लिए स्वयं यहां एक चमत्कारी क्षेत्र रचा है
और इसे एक चमत्कारी नृत्य को तालों पर बुना है।

There in its circles and its magic turns
Attracted he arrives, repelled he flees.

यहां इस सृष्टि के फेरों और इसके जादुई घुमावों से
आकर्षित हो वह आता है, फिर विकर्षित हो भाग जाता है।

In the wild devious promptings of his mind
He tastes the honey of tears and puts off joy
Repenting, and has laughter and has wrath,
And both are a broken music of the soul
Which seeks out, reconciled, its heavenly rhyme.

अपने मन के पाशविक असंगत अनुबोधनों के अनुभव में
वह अश्रुओं में मधु का स्वाद लेता है और पश्चाताप से भरकर
हर्ष को परे धकेल देता है, और हंसता एवं क्रोध करता है,
और दोनों ही जीवपुरुष के टूटे संगीत स्वर हैं
हम इसकी दिव्य तान को सुसंगति हित खोजा करते हैं।

Ever he comes to us across the years
Bearing a sweet new face that is the old.

वर्षों की अवधि पार कर वह हम तक सतत आता रहता है
एक नूतन मधुर रूप ले वह पुरातन होकर भी लौट आता है।

His bliss laughs to us or it calls concealed [613]
Like a far-heard unseen entrancing flute
From moonlit branches in the throbbing woods,
Tempting our angry search and passionate pain.

उसकी आनन्दानुभूति हमें मोद से भर देती है या यह छिपकर
एक सुदूर से आती अगोचर मोहक वंशी-ध्वनि सम टेरती है
जो स्पन्दित वनों की ज्योत्स्नापूर्ण छिपी शाखाओं से उतर आती हैं,
यही हमारी क्रोधभरी खोज और आवेश के दर्द को लुभाकर खींचती है।

Disguised the Lover seeks and draws our souls.

परम-प्रेमी भेष बदल हमारी आत्माओं को खोजता और आकर्षित करता है।

He named himself for me, grew Satyavan.

वही मेरे लिए सत्यवान् का नाम धर इस संसार में आया है।

For we are man and woman from the first,
The twin souls born from one undying fire.

क्योंकि आदिकाल से हम स्त्री-पुरुष बनते आये हैं,
एक अमर ज्वाला से उत्पन्न हम जुड़वां आत्माएं हैं।

Did he not dawn on me in other stars?

क्या अन्य ग्रहों तारों पर वह मेरे साथ नहीं उदित हुआ था?

How has he through the thickets of the world
Pursued me like a lion in the night
And come upon me suddenly in the ways
And seized me with his glorious golden leap!

इस संसार की घनी झाड़ियों के मध्य तब कैसे उसने
इस घोर रात्रि में एक सिंह समान मेरा पीछा किया
और फिर जीवन-पथों पर हठात् मेरे सामने आ खड़ा हो गया
और एक भव्य दर्शनीय छलांग लगा मुझे जकड़ लिया!

Unsatisfied he yearned for me through time,
Sometimes with wrath and sometimes with sweet peace,
Desiring me since first the world began.

असन्तुष्ट वह मेरे लिए युगों तक लालायित रहा
कभी कुपित हुआ है और कभी मधुर धैर्य रखा है,
आदिकाल से अनन्त जन्मों में वह मेरी कामना में खोया रहा है।

He rose like a wild wave out of the floods
And dragged me helpless into seas of bliss.

कालधाराओं से वह एक उन्मत्त लहर सम उठता
और मुझे विवश कर आनन्द के सागरों में खींच ले जाता।

Out of my curtained past his arms arrived;
They have touched me like the soft persuading wind,
They have plucked me like a glad and trembling flower,
And clasped me happily burned in ruthless flame.

मेरे पटाच्छादित विगत से इस बार भी उसकी भुजाओं ने बाहर आ;
मुझे कोमल दुलारते पीछे पड़े समीर सम स्पर्श किया,
फिर उन्होंने एक प्रसन्न कम्पित पुष्प समान मुझे तोड़ लिया,
और मोद से मुझे आलिंगनबद्ध कर निष्ठुर प्रेम ज्वाला से प्रज्वलित हो उठा।

I too have found him charmed in lovely forms
And run delighted to his distant voice
And pressed to him past many dreadful bars.

मैंने भी उसके शोभित आकारों पर मोहित हो उसे जन्मों तक खोजा है
और सुदूर से आती उसकी वाणी सुन विभोर हो दौड़ी हूं
और अनेक भीषण अवरोधकों को पार कर उसके पास पहुंची हूं।

If there is a yet happier greater god,
Let him first wear the face of Satyavan
And let his soul be one with him I love;
So let him seek me that I may desire.

यदि वहां कोई अन्य महत्तर और प्रसन्नतर देवता है,
तो वह पहले सत्यवान् का रूप धारण कर ले
और फिर उसकी आत्मा भी मेरे प्रिय के साथ एकात्म हो जाये;
और मुझे खोजे तब हो सकता है वह मेरा काम्य पुरुष हो जाये।

For only one heart beats within my breast
And one god sits there throned. Advance, O Death,
Beyond the phantom beauty of this world;
For of its citizens I am not one.

क्योंकि मेरे अन्तर में तो केवल एक हृदय स्पन्दित है
और वहां उस आसन पर एक ही देवता बैठा है।
हे यम, उन्नत होकर देख, इस संसार के छायाभासी सौन्दर्य से परे;
क्योंकि इसके नागरिकों में से मैं एक नहीं हूं।

I cherish God the Fire, not God the Dream.”

मैं तो प्रभु का तेजस्वी रूप पूजती हूं, आदर्श सपनों का ईश्वर मेरा नहीं है।’’

But Death once more inflicted on her heart
The majesty of his calm and dreadful voice:
“A bright hallucination are thy thoughts. [614]

किन्तु एक बार फिर अपनी शान्त और भीषण प्रभुताशाली वाणी से
सावित्री के हृदय पर आघात करते हुए, यम ने कहा:
‘‘तेरे विचारों में एक दीप्तिमय मतिभ्रम की मरीचिका है।

A prisoner haled by a spiritual cord,
Of thy own sensuous will the ardent slave,
Thou sendest eagle-poised to meet the sun
Words winged with the red splendour of thy heart.

एक आध्यात्मिक सूत्र से बंधी ओ बंदिनी,
तू तो अपनी निजी इन्द्रियेच्छा की उद्दीप्त दासी है,
तू अपने वचनों को अपने हृदय की अरुणिम शोभा के पंख लगा
गरुड़ सम सन्तुलित कर सूर्य को भेंटने पठाती है।

But knowledge dwells not in the passionate heart;
The heart’s words fall back unheard from Wisdom’s throne.

किन्तु सत्य ज्ञान तो आवेशमय हृदय में नहीं रहता;
हृदय के भावात्मक शब्द प्रज्ञादेवी के यहां से अनसुने लौट आते हैं।

Vain is thy longing to build heaven on earth.

इस धरती को स्वर्ग बनाने की तेरी लालसा निष्फल है।

Artificer of Ideal and Idea,
Mind, child of Matter in the womb of Life,
To higher levels persuades his parents’ steps;
Inapt, they follow ill the daring guide.

अभीष्ट आदर्श और पराभव का शिल्पकार,
यह उच्च मन है, जो प्राणशक्ति के गर्भ से उत्पन्न जड़तत्त्व का पुत्र है,
यह अपने जन्मदाताओं के पगों को उच्चतर स्तरों की ओर प्रेरित करता है:
अपटु, उनमें दुःसाहसी पथ-प्रदर्शक के अनुगमन की सामर्थ्य नहीं है।

But Mind, a glorious traveller in the sky,
Walks lamely on the earth with footsteps slow;
Hardly he can mould the life’s rebellious stuff,
Hardly can he hold the galloping hooves of sense:
His thoughts look straight into the very heavens;
They draw their gold from a celestial mine,
His acts work painfully a common ore.

किन्तु मनःशक्ति, आकाशों में उड़ती एक यशस्वी पर्यटक है,
यद्यपि इस धरती पर यह धीमे कदमों से लड़खड़ाती चल पाती है;
जीवन के विद्रोही तत्त्व को अति कठिनाई से ढाल पाती है,
इन्द्रियों के दौड़ते पैरों को मुश्किल से सम्भाल पाती हैः
मानस के विचार तो सीधे स्वर्गों के अन्तर में देखते हैं;
और वे एक अलौकिक खान से अपना स्वर्ण निकाल लेते हैं,
पर वह एक साधारण से लोहे की शलाका को अति कष्ट से पीट पाता है।

All thy high dreams were made by Matter’s mind
To solace its dull work in Matter’s jail,
Its only house where it alone seems true.

ये तेरे सकल ऊंचे सपने इस जड़तत्त्व से उदित मन ने रचे हैं
जिससे यह अपनी इस जड़ देह के रसहीन कार्य में शान्ति पा सके,
यही इसका मात्र घर है जहां यह अकेला सत्य सम दीखता है।

A solid image of reality
Carved out being to prop the works of Time;
Matter on the firm earth sits strong and sure.

यथार्थता की यही एक स्थूल छवि है,
जिसे युगकाल के कार्यों को सहारा देने को व्यक्ति-सत्ता में ढाला गया
इस स्थूल स्थिर पृथ्वी पर जड़तत्त्व दृढ़ और निश्चित आसीन हो गया।

It is the first-born of created things,
It stands the last when mind and life are slain,
And if it ended all would cease to be.

सृष्ट तत्त्वों में जड़तत्त्व ही सबसे पहले जन्मा था,
और जब प्राण और मन निहत हो जाते हैं यह अन्त तक खड़ा रहता है,
और यदि इसका भी अन्त हो जाये तो सम्पूर्ण सृष्टि मिट जायेगी।

All else is only its outcome or its phase:
Thy soul is a brief flower by the gardener Mind
Created on thy Matter’s terrain plot;
It perishes with the plant on which it grows,
For from earth’s sap it draws its heavenly hue:
Thy thoughts are gleams that pass on Matter’s verge,
Thy life a lapsing wave on Matter’s sea.

सकल पदार्थ इसी से जन्में हैं या इसी की अन्य अवस्थाएं हैं:
तेरी आत्मसत्ता इस जड़तत्त्व के भूमिखण्ड पर
इस मानस रूपी माली द्वारा उत्पादित एक क्षणिक पुष्प है;
जिस पौधे पर यह उपजती है उसी के साथ नष्ट हो जाती है,
क्योंकि यह धरती के रस से ही अपनी स्वर्गिक आभा पाती है:
तेरे संकल्प जड़तत्त्व की सीमा से गुजरती झलकियां हैं,
तेरा जीवन जड़तत्त्व के सागर पर डूबती एक लहर है।

A careful steward of Truth’s limited means,
Treasuring her founded facts from the squandering Power,[615]
It tethers mind to the tent-posts of sense,
To a leaden grey routine clamps Life’s caprice
And ties all creatures with the cords of Law.

यह परम सत्य के सीमित साधनों की एक सावधान परिचारिका है,
जो अपने मूल तथ्यों के कोष को अपव्ययी महाशक्ति से बचा रखती है
जड़तत्त्व इन्द्रिय के खूंटों से मन को बांध रखता है,
प्राणशक्ति की चंचल सनकों पर यह नीरस दैनिकचर्या का भार डाल देता है
और समस्त प्राणियों को दैवी विधान के सूत्रों से बांध देता है।

A vessel of transmuting alchemies,
A glue that sticks together mind and life,
If Matter fails, all crumbling cracks and falls.

रुपान्तरकारी कीमियागरी का यह एक पात्र है,
मन और जीवन-प्राण को जोड़ने वाला एक द्रव्य है,
यदि जड़तत्त्व असफल रहा तो सब जीर्ण-शीर्ण हो बिखर जाता है।

All upon Matter stands as on a rock.

सकल विश्व जड़तत्त्व पर एक चट्टान सम आधार बना खड़ा है।

Yet this security and guarantor
Pressed for credentials an impostor proves:
A cheat of substance where no substance is,
An appearance and a symbol and a nought,
Its forms have no original right to birth:
Its aspect of a fixed stability
Is the cover of a captive motion’s swirl,
An order of the steps of Energy’s dance
Whose footmarks leave for ever the same signs,
A concrete face of unsubstantial Time,
A trickle dotting the emptiness of Space:
A stable-seeming movement without change,
Yet change arrives and the last change is death.
What seemed most real once, is Nihil’s show.

किन्तु इस सुरक्षा और गारन्टीकर्ता को
यदि प्रमाण देने को बाध्य किया जाये तो यह ढोंगी प्रमाणित होता है:
जड़तत्त्व एक धोखा है जहां किसी तत्त्व का अस्तित्व नहीं है:
मात्र एक आभास है, एक प्रतीक है और एक शून्य है,
इसके आकारों को जन्म लेने का कोई मूल अधिकार नहीं है:
यह दृढ़ स्थिरता तो मात्र इसका एक पक्ष है
गति के भंवर-चक्र को बन्दी कर लेने हित एक आवरण है,
ब्रह्माण्डीय शक्ति के नृत्य की पद-व्यवस्था है
जिसके पावों के निशान सदा एक समान चिह्न छोड़ते हैं,
निस्सार महाकाल का एक स्थूल प्रत्यक्ष चेहरा है,
शून्य दिशाकाश की रिक्तता पर बिन्दु लगाती एक टपकन है:
अपरिवर्तनशील एक गति है जो ठहरी हुई-सी लगती है
फिर भी परिवर्तन होता है और यह अन्तिम परिवर्तन मृत्यु है
यह सब जो कभी-कभी पूर्ण सत्य लगता है, शून्य असत् ब्रह्म की लीला है।

Its figures are snares that trap and prison the sense;
The beginningless void was its artificer:
Nothing is there but aspects limned by Chance
And seeming shapes of seeming Energy.

इसके आकार सब जालपाश हैं जो बोध को फांस कर कैद कर लेते हैं;
अनादि शून्याभाव ही इसका शिल्पकार है:
यहां कुछ नहीं है केवल दैवयोग द्वारा रेखांकित रूपाभास हैं
और दिव्य सम दिखती ऊर्जा की रूपायित सम दिखतीं प्रतीतियां हैं।

All by Death’s mercy breathe and live awhile,
All think and act by the Inconscient’s grace.

यहां सब मृत्यु की कृपा से श्वासित और कुछ अवधि तक जीते हैं,
सब असार अचित्-शून्य की कृपा से सोचते कार्य करते हैं।

Addict of the roseate luxury of thy thoughts,
Turn not thy gaze within thyself to look
At visions in the gleaming crystal, Mind,
Close not thy lids to dream the forms of Gods.

अपने गुलाबी विचारों की तू अभ्यस्त हो गयी है,
निज दृष्टि से अपनी अन्तर-सत्ता में झांकना छोड़ दे
हे मानसी, इस चमकते स्फटिक शीशे में दृश्यों का अवलोकन तज दे,
अपनी पलकों को बन्द कर देवों के रूपों का सपना देखना त्याग दे।

At last to open thy eyes consent and see
The stuff of which thou and the world are made.

अन्त में निज नेत्रों को खोलना स्वीकार ले और देख ले
इस तत्त्व को, जिससे तेरा और इस जगत् का निर्माण हुआ है।

Inconscient in the still inconscient Void
Inexplicably a moving world sprang forth:
Awhile secure, happily insensible,[616]
It could not rest content with its own truth.

इस मूक अचित्-महाशून्य में अचित् जड़तत्त्व से
अबोधगम्य एक चलायमान जगत् उछल प्रकट हो गया हैः
कुछ काल यह अचेतन, सुरक्षित प्रसन्न रहा,
पर यह अपने आत्म-सत्य में सन्तुष्ट और विश्राम न कर पाया।

For something on its nescient breast was born
Condemned to see and know, to feel and love,
It watched its acts, imagined a soul within;
It groped for truth and dreamed of Self and God.

क्योंकि इसके निश्चेतन वक्ष पर कुछ उत्पन्न हो गया था
जो देखने और जानने, अनुभव करने एवं प्रेम करने को दण्डित था,
यह अपने कर्मों का निरीक्षण करता, और अन्तर में एक आत्मा की कल्पना करता:
यह सत्य को खोजता और अन्तरात्मा और परमात्मा का स्वप्न देखता।

When all unconscious was, then all was well.
जब तक सकल सृष्टि अचेत थी, तब तक सब कुशल था।
I, Death, was king and kept my regal state,
Designing my unwilled, unerring plan,
Creating with a calm insentient heart.

मैं, यमराज, अधिपति था और अपने अधीन सब पर शासन चलाता,
अपनी कामना, संकल्पहीन, निर्दोष योजना की रूपरेखा बनाता,
और एक उदासीन, जड़ संज्ञाहीन हृदय से सर्जन करता।

In my sovereign power of unreality
Obliging nothingness to take a form,
Infallibly my blind unthinking force
Making by chance a fixity like fate’s,
By whim the formulas of Necessity,
Founded on the hollow ground of the Inane
The sure bizarrerie of Nature’s scheme.

असत्-अयथार्थ की अपनी एकाधिपत्य की शक्ति में
शून्यता को एक आकार प्रदान करने की कृपा करता,
मेरी अन्धी अविवेकी ऊर्जा बिना दोष किये, अमोघता से
दैवयोग द्वारा एक अटलता को नियति के समान बना देती है,
जड़-आवश्यकता के सूत्रों की सनक द्वारा भाग्य रच डालती है,
इस शून्याकाश की खोखली भूमि पर खड़ा कर दिया गया
विश्व-प्रकृति की योजना का यह निश्चित स्थिर तमाशा।

I curbed the vacant ether into Space;
A huge expanding and contracting breath
Harboured the fires of the universe:
I struck out the supreme original spark
And spread its sparse ranked armies through the Inane,
Manufactured the stars from the occult radiances,
Marshalled the platoons of the invisible dance;
I formed earth’s beauty out of atom and gas,
And built from chemic plasm the living man.

मैंने इस शून्य ईथर को घुमाव दे दिशाकाश बनाया,
एक विशाल प्रसारित होते और संकुचित होते श्वास में
इस विश्व की अग्नियों को आश्रय दिया:
मैंने ही आदि परम स्फुलिंग को आघात द्वारा प्रज्वलित किया
और इसकी छितरी श्रेणियों को अपनी सेना सम इस शून्य में फैला दिया,
इन गुह्य दीप्तियों से सितारों का निर्माण किया,
जड़तत्त्व के अगोचर नृत्य के पदों को व्यवस्था-क्रम में ढाला;
परमाणु और गैस-ऊर्जा से इस पृथ्वी को रम्य सुन्दर बनाया,
और रासायनिक जीव-द्रव्य से जीवित मनुज को रच डाला।

Then Thought came in and spoilt the harmonious world:
Matter began to hope and think and feel,
Tissue and nerve bore joy and agony.

तब मनःशक्ति उदित हो उठी और इस जगत् का सामञ्जस्य नष्ट हो गया:
जड़तत्त्व में आशा और विचार और अनुभूति उत्पन्न हो गयीं,
देह के ऊतक और नाड़ी में आह्लाद और पीड़ा जाग उठी।

The inconscient cosmos strove to learn its task;
An ignorant personal god was born in Mind
And to understand invented reason’s law,
The impersonal Vast throbbed back to man’s desire,
A trouble rocked the great world’s blind still heart
And Nature lost her wide immortal calm.

इस अचित् ब्रह्माण्ड ने अपने परिश्रम को समझने की चेष्टा की;
मनःशक्ति में एक अज्ञ व्यक्तिवादी देवता ने जन्म लिया
और समझने के लिए विवेक के विधान का आविष्कार किया,
यह उदासीन ‘विराट्’ मानव की कामना के प्रति स्पन्दित हो उठा,
इस महान् जगती का अन्धा नीरव अन्तर एक कष्ट से आन्दोलित हो उठा
और विश्वप्रकृति ने अपनी विशाल शाश्वत प्रशान्ति खो दी।

Thus came this warped incomprehensible scene
Of souls emmeshed in life’s delight and pain[617]
And Matter’s sleep and Mind’s mortality,
Of beings in Nature’s prison waiting death
And consciousness left in seeking ignorance.

इस प्रकार यह जटिल अबोधगम्य दृश्य उपस्थित हो उठा
यह दृश्य जीवन में हर्ष और पीड़ा से गुंथे जीवों का है
और जड़ता की अज्ञ निद्रा में डूबे और मानस के नश्वर प्राणियों का है,
और उनका जो अपने स्वभाव में कैद मृत्यु की प्रतीक्षा में हैं
और अविद्या में उतरी संधान करती चेतना का है
और क्रम-विकास की धीमी और अवरुद्ध योजना का है।

This is the world in which thou mov’st, astray
In the tangled pathways of the human mind,
In the issueless circling of thy human life,
Searching for thy soul and thinking God is here.

इसी जगत् में तू भ्रमित गतिशील, व्यर्थ भटक रही है
मानव-मानस के उलझे जटिल पथों पर चक्कर खाती,
अपने मानवीय जीवन की अर्थहीन परिक्रमाओं में,
अपनी अन्तरात्मा को खोजती और परमात्मा यहीं है यह विचारती।

But where is room for soul or place for God
In the brute immensity of a machine?

किन्तु एक यान्त्रिक भीषण पशु जीवन में
यहां आत्मा और परमात्मा के लिए स्थान कहां है?

A transient Breath thou takest for thy soul,
Born from a gas, a plasm, a sperm, a gene,
A magnified image of man’s mind for God,
A shadow of thyself thrown upon Space.

एक अनित्य प्राणश्वास को तू निज चैत्य सत्ता सम जानती है,
एक गैस-ऊर्जा, एक जीव-द्रव्य, एक शुक्राणु और एक जीवाणु से उत्पन्न
इस मानव मन की एक आवर्धित छवि को परमात्मा समझती है,
यह तूने अपने ही मन की एक छाया को दिक्काल में क्षेपित किया है।

Interposed between the upper and nether Void,
Thy consciousness reflects the world around
In the distorting mirror of Ignorance
Or upwards turns to catch imagined stars.

उच्चतर और निम्नलोक के इस विशाल शून्य के मध्य आरोपित कर दिया है,
तेरी चेतना ही इस संसार में चहुं ओर आभासित है
जो अविद्या के विकारी दर्पण में प्रतिबिम्बित होती है
या फिर कल्पना के तारे पकड़ने ऊर्ध्वाकाश में चक्कर लगाती है।

Or if a half Truth is playing with the earth
Throwing its light on a dark shadowy ground,
It touches only and leaves a luminous smudge.

या यदि एक अर्धप्रकाशित सत्य इस पृथ्वी के संग खिलवाड़ में
अपने प्रकाश को इस अन्धकारी धूमिल क्षेत्र पर फेंक खेलता है,
तब यह केवल इसे स्पर्श भर करता है और एक दीप्तिपूर्ण धब्बा छोड़ चला जाता है।

Immortality thou claimest for thy spirit,
But immortality for imperfect man,
A god who hurts himself at every step,
Would be a cycle of eternal pain.

तू अपनी इस जीवसत्ता के लिए अमरत्व का दावा करती है,
पर अमरता इस अपरिपक्व मानव के लिए क्यों चाहती है,
यह अर्धदेव तो स्वयं को पग-पग पर आहत करता है
और अमर हो वह चिर पीड़ा के एक चक्र में घिर जायेगा।

Wisdom and love thou claimest as thy right;
But knowledge in this world is error’s make,
A brilliant procuress of Nescience,
And human love a posturer on earth-stage
Who imitates with verve a faery dance.

प्रज्ञा और प्रेम पर तू अपने अधिकार का दावा करती है;
किन्तु इस संसार में ज्ञान तो दोष एवं भ्रान्ति का साथी है,
यह जड़-निश्चेतना का एक प्रतिभाशाली दलाल है,
और मानवीय प्रेम इस पार्थिव रंगमंच का बहुरूपिया है
जो उमंग से भर एक अप्सरा के नृत्य की नकल करता है।

An extract pressed from hard experience,
Man’s knowledge casked in the barrels of Memory
Has the harsh savour of a mortal draught:
A sweet secretion from the erotic glands
Flattering and torturing the burning nerves,
Love is a honey and poison in the breast
Drunk by it as the nectar of the gods.[618]

मानवीय ज्ञान उसके स्मृतिकोष के पात्रों में भरा
उसके कठोर अनुभवों को दबाकर निकाला एक सार-द्रव्य है
इसके एक नश्वर घूंट का स्वाद अति तीक्ष्ण है:
प्रेम कामोद्दीपन ग्रन्थियों में रिसता एक मधुर स्त्राव है
यह जलती नाड़ियों को या तो चैन देता है या व्यथित कर देता है,
मानव इसे देवताओं के अमृत सम पान करता है
यह प्रेम उसके अन्तर का मधु है और विष भी है।

Earth’s human wisdom is no great-browed power,
And love no gleaming angel from the skies.

पृथ्वी पर मनुष्य की प्रज्ञा कोई महती मेधावी शक्ति नहीं है,
और प्रेम स्वर्ग से अवतरित कोई प्रकाशमान देवदूत नहीं है।

If they aspire beyond earth’s dullard air,
Arriving sunwards with frail waxen wings
How high could reach that forced unnatural flight?

यदि वे इस भौतिक जड़ रसहीन परिवेश से परे उड़ने की अभीप्सा करते हैं,
तो वे दुर्बल मोम के पंख लगा सूर्य की ओर उड़ान भरते हैं,
उस अस्वाभाविक उड़ान से बंधे वे कितनी ऊंचाई तक पहुंच सकते हैं?

But not on earth can divine wisdom reign
And not on earth can divine love be found;
Heaven-born, only in heaven can they live,
Or else there too perhaps they are shining dreams.

इस धरती पर दिव्य प्रज्ञा का शासन नहीं हो सकता है
और इस धरती पर दिव्य प्रेम कहीं भी प्राप्त नहीं हो सकता है;
स्वर्ग में जन्में, वे केवल स्वर्ग में ही निवास करते हैं;
या सम्भव है वहां पर भी वे दीप्तिमय स्वप्न मात्र हैं।

Nay, is not all thou art and doest a dream?

और क्या, तू जो सब है और करती है, एक सपना ही नहीं है?

Thy mind and life are tricks of Matter’s force.

तेरा मन और जीवन दोनों जड़तत्त्व की ऊर्जा की ही मरीचिका हैं।

If thy mind seems to thee a radiant sun,
If thy life runs a swift and glorious dream,
This is the illusion of thy mortal heart
Dazzled by a ray of happiness or light.

यदि तुझे अपना मन एक चमकता सूर्य लगता है,
और अपना जीवन एक स्फूर्तिपूर्ण भव्य धारा सम बहता दीखता है,
तो यह तेरे नश्वर हृदय की ही एक छलना है
जो प्रसन्नता की किरण या प्रकाश द्वारा चकाचौंध है।

Impotent to live by their own right divine,
Convinced of their brilliant unreality,
When their supporting ground is cut away,
These children of Matter into Matter die.

ये अपने आत्माधिकार की दिव्यता में जीवित रहने में असमर्थ हैं,
उन्हें अपने प्रतिभाशाली अयथार्थ पर पूर्ण विश्वास है,
पर जब उनका आधारभूमि-तत्त्व उनके नीचे से काट दिया जाता है
तो ये जड़-तत्त्व के बालक जड़-तत्त्व की माटी में मिट जाते हैं।

Even Matter vanishes into Energy’s vague
And Energy is a motion of old Nought.

यह भौतिक तत्त्व भी चित्शक्ति की धूमिलता में लुप्त हो जाता है
और यह चित्शक्ति सनातन असत्-ब्रहम् की एक गति है।

How shall the Ideal’s unsubstantial hues
Be painted stiff on earth’s vermilion blur,
A dream within a dream come doubly true?

तब कैसे इस इष्ट-आदर्श के सारहीन रंगों से
पृथ्वी के धूमिल सिंदूरी रंग पर गाढ़ा रंग चढ़ा सकते हैं,
एक स्वप्न के अन्दर एक और सपना देखना क्या दुगुना सत्य है?

How shall the will-o’-the-wisp become a star?

इच्छा का एक उच्छ्वास तारा कैसे बन सकता है?

The Ideal is a malady of thy mind,
A bright delirium of thy speech and thought,
A strange wine of beauty lifting thee to false sight.

यह अभीष्ट आदर्श तो तेरे मन का एक रोग है,
तेरी वाणी और विचार का एक चतुर प्रलाप है,
मनोहारी एक विचित्र सुरा है जिसने तुझे मिथ्या दृश्य तक उठा दिया है।

A noble fiction of thy yearnings made,
Thy human imperfection it must share:
Its forms in Nature disappoint the heart,
And never shall it find its heavenly shape
And never can it be fulfilled in Time.

तेरी लालसाओं द्वारा रचित एक उदात्त कथा है,
तेरी मानवीय अपूर्णता इसी का अंश हैः
विश्व-प्रकृति में इसके आकार हृदय को निराश करते हैं,
यह अपनी दिव्याकृति यहां कभी भी नहीं पायेगा
और यह दिक्काल में कभी परिपूर्णता नहीं पा सकेगा।

O soul misled by the splendour of thy thoughts,
O earthly creature with thy dream of heaven,
Obey, resigned and still, the earthly law.[619]

हे जीव तू अपने विचार संकल्पों की भव्यता से भ्रमित है,
हे पृथ्वी के प्राणी तू इस स्वर्ग के सपने से पथभ्रष्ट है,
इस पार्थिव विधान पर सन्तोष कर और शान्त-स्थिर हो इसका अनुपालन कर।

Accept the light that falls upon thy days;
Take what thou canst of Life’s permitted joy,
Submitting to the ordeal of Fate’s scourge
Suffer what thou must of toil and grief and care.

अपने दिवसों पर गिरते इस क्षणिक प्रकाश को स्वीकार ले;
महाप्राण से स्वीकृत सुख से जितना ले सकती है, ले ले;
नियति की अग्निपरीक्षा के कष्ट हित अपने को अर्पित कर दे
और कठिन श्रम, वेदना एवं दुश्चिन्ता को झेलने स्वयं को प्रस्तुत कर दे।

There shall approach silencing thy passionate heart
My long calm night of everlasting sleep:
There into the hush from which thou cam’st retire.”[620]

तब तेरे आवेशपूर्ण हृदय को मूक करती
अनन्त निद्रा की मेरी दीर्घ शान्त रात्रि आ पहुंचेगी:
तब तू उस निस्तब्ध नीरवता में, जहां से तू निकली थी विश्राम करेगी।’’

END OF CANTO TWO