BOOK TWO. THE BOOK OF THE TRAVELLER OF THE WORLDS
Canto Twelve. The Heavens of the Ideal
Always the Ideal beckoned from afar.
अति दूर से वह आदर्श-विज्ञान सतत आवाहन करता।
Awakened by the touch of the Unseen,
Deserting the boundary of things achieved,
Aspired the strong discoverer, tireless Thought,
Revealing at each step a luminous world.
अगोचर प्रभु के स्पर्श से जाग्रत् हो,
अब तक सिद्ध वस्तुओं को पीछे छोड़कर,
इस दृढ़निश्चयी शोधक, अक्लांत सत्य-संकल्प ने अभीप्सा कर,
अपने प्रत्येक चरण पर एक द्युतिमान लोक प्रकटा दिया।
It left known summits for the unknown peaks:
Impassioned, it sought the lone unrealised Truth,
It longed for the Light that knows not death and birth.
इसने ज्ञात शिखरों को अज्ञात शिखरों के लिए त्याग दिया:
उत्साह से भर, इसने उस एकाकी अचरितार्थ दिव्य सत्य को खोजा,
और यह जन्म-मृत्यु से परे की परा-ज्योति हित लालायित हो उठा।
Each stage of the soul’s remote ascent was built
Into a constant heaven felt always here.
उस अन्तःपुरुष के एकाकी आरोहण के प्रत्येक चरण को
एक नित्य स्वर्ग बना दिया गया जिसका अनुभव यहांसतत होता है।
At each pace of the journey marvellous
A new degree of wonder and of bliss,
A new rung formed in Being’s mighty stair,
A great wide step trembling with jewelled fire
As if a burning spirit quivered there
Upholding with his flame the immortal hope,
As if a radiant God had given his soul
That he might feel the tread of pilgrim feet
Mounting in haste to the Eternal’s house.
उस चमत्कारी यात्रा के प्रत्येक पग पर
आश्चर्य और सुखानन्द की एक नूतन स्तर की श्रेणी बन,
आत्म-पुरुष के सामर्थ्यशाली सोपान पर एक नव पगबन जाती,
यह एक महान् विस्तृत चरण जगमगाती अग्नि से ऐसे कम्पित था,
जैसे एक ज्वलन्त आत्मसत्ता वहां स्पन्दित हो
जो अपनी ज्वाला में अमर आशा को धारण किये हो,
मानों एक प्रकाशपुंज देवता ने निज प्राण को वहां बिछा दिया हो
जिससे वह उस तीर्थयात्री के चरणों की चाल की अनुभूति ले सके
जो चिरन्तन प्रभु के धाम की ओर द्रुत चाल से चढ़ रहा था।
At either end of each effulgent stair
The heavens of the ideal Mind were seen
In a blue lucency of dreaming space
Like strips of brilliant sky clinging to the moon.
प्रत्येक देदीप्यमान सोपान के आदि और अन्त के छोरों पर
विज्ञानमयी मनशक्ति के स्वर्ग दिखायी दे रहे थे
एक स्वप्नाकाश की नीली उज्ज्वलता में वे
प्रकाशमान गगन की पट्टियों समान चन्द्रमा से चिपके लगते थे।
On one side glimmered hue on floating hue,
In a glory and surprise of the seized soul
And a tremulous rapture of the heart’s insight
And the spontaneous bliss that beauty gives,
The lovely kingdoms of the deathless Rose.
एक ओर तैरती रंगीन-आभा के रंग चमक रहे थे,
उस आत्मा के एक गौरवपूर्ण आत्मोदय में
उसके हृदय की अन्तर्दृष्टि की एक सिहरती भाव-समाधि में
और सौन्दर्य द्वारा प्रदत्त उसके सहज सुखानन्द में,
अलौकिक अमर गुलाब के अभिराम राज्य सुशोभित थे।
Above the spirit cased in mortal sense
Are superconscious realms of heavenly peace,
Below, the Inconscient’s sullen dim abyss,[277]
Between, behind our life, the deathless Rose.
नश्वर बोध में कैद इस अन्तरात्मा के ऊर्ध्व में
स्वर्गिक शान्ति से पूर्ण पराचेतना के क्षेत्र हैं,
उसके नीचे, घोर अचित् के उदास धूमिल गर्त हैं,
मध्य में, हमारे प्राण के पीछे, यह अमर दिव्य गुलाब है।
Across the covert air the spirit breathes,
A body of the cosmic beauty and joy
Unseen, unguessed by the blind suffering world,
Climbing from Nature’s deep surrendered heart
It blooms for ever at the feet of God,
Fed by life’s sacrificial mysteries.
इस सीमित प्रच्छन्न वातावरण के उस पार अन्तरात्मा मुक्त श्वास लेती है,
विश्व-सौन्दर्य और हर्षपूर्ण आनन्द की एक काया वहां स्थित है
यह इस अन्धे भोगी संसार के अनुमान से परे अगोचर बसती है,
प्रकृति देवी के गहन समर्पित हृदय से आरोहण कर
यह परमेश के चरणों में सतत प्रमुदित खिली रहती है,
जीवन के यज्ञ में समर्पित गुह्यताओं द्वारा यह पोषण पाती है।
Here too its bud is born in human breasts;
Then by a touch, a presence or a voice
The world is turned into a temple ground
And all discloses the unknown Beloved.
यहां पार्थिवता में भी इसकी कलिका मानव-हृदयों में प्रस्फुटित होती है;
तब एक स्पर्श, एक सान्निध्य या एक वाचा द्वारा
यह संसार एक मन्दिर की वाटिका में परिणत हो जाता है
और अखिल जगत् उस अज्ञेय प्रियतम की अभिव्यक्ति बन जाता है।
In an outburst of heavenly joy and ease
Life yields to the divinity within
And gives the rapture-offering of its all,
And the soul opens to felicity.
स्वर्गिक हर्ष और सहज सरलता के एक विस्फोटन में
हमारा जीवन अन्तर्वासी दिव्यता पर न्योछावर हो जाता है
और अपना सर्वस्व भाव-समाधि के आनन्द में समर्पित कर देता है,
और यह जीव परमानन्द की ओर उद़्घाटित हो उठता है।
A bliss is felt that never can wholly cease,
A sudden mystery of secret Grace
Flowers goldening our earth of red desire.
एक ऐसे स्वर्गिक हर्ष की अनुभूति पाता है जो कभी पूर्णत:समाप्त नहीं होता है,
गुप्त दिव्य कृपा का एक रहस्य हठात् पुष्पित हो
हमारी भौतिक रक्तवर्णी कामना की धरती को स्वर्णमयी बना देता है।
All the high gods who hid their visages
From the soiled passionate ritual of our hopes,
Reveal their names and their undying powers.
वे समस्त उन्नत देवता जो अपने मुखों को
हमारी आशाओं के दूषित रागमय अनुष्ठानों में छिपा लेते हैं,
वे अपने नामों और अपनी अमर शक्तियों को अब प्रकटा देते हैं।
A fiery stillness wakes the slumbering cells,
A passion of the flesh becoming spirit,
And marvellously is fulfilled at last
The miracle for which our life was made.
उन सुप्त कोषाणुओं में एक ज्वलन्त स्थिर नीरवता जाग जाती है,
मांसल देह का आवेश चित्-शक्ति बन जाता है,
अन्त में वह चमत्कार जिसके लिए
यह हमारा जीवन बना है अद्भुत ढंग से परिपूर्ण हो जाता है।
A flame in a white voiceless cupola
Is seen and faces of immortal light,
The radiant limbs that know not birth and death,
The breasts that suckle the first-born of the Sun,
The wings that crowd Thought’s ardent silences,
The eyes that look into spiritual Space.
एक श्वेत निःशब्द गुम्बद में एक ज्योतिशिखा
और अमर प्रकाश के आनन दिखायी देते हैं,
ऐसे तेजस्वी अंग जो जन्म और मृत्यु से अनजान हैं,
वे स्तन जो सूर्यदेव के प्रथम-जात को पयपान कराते हैं,
वे दिव्य पंख जो मन-संकल्प की गम्भीर नीरवताओं पर छाये रहते हैं,
वे नेत्र जो आत्मा के अन्तराकाश में अवलोकते हैं।
Our hidden centres of celestial force
Open like flowers to a heavenly atmosphere;
Mind pauses thrilled with the supernal Ray,
And even the transient body then can feel
Ideal love and flawless happiness[278]
And laughter of the heart’s sweetness and delight
Freed from the rude and tragic hold of Time,
And beauty and the rhythmic feet of the hours.
पराशक्ति के हमारे गोपित केन्द्र सब पुष्पों समान
एक स्वर्गिक परिवेश में सहज खुल जाते हैं;
मनशक्ति उस दिव्य परा-रश्मि से पुलकित हो स्थिर हो जाती है,
यह नश्वर देह भी तब अनुभव कर सकती है
इस त्रिकाल की पाशविक त्रासदायी जकड़न से मुक्ति का
आदर्श प्रेम और निष्कलंक सौख्य का
हृदय की माधुरी और आनन्द के उन्मुक्त हास्य का,
सौन्दर्य का और घण्टों के चरणों में बसे संगीत का।
This in high realms touches immortal kind;
What here is in the bud has blossomed there.
यह विज्ञान उच्च स्तरों में अमर देववर्ग को स्पर्श करता है;
अभी यहां जो अविकसित कलिका है वहां खिला पुष्प है।
There is the secrecy of the House of Flame,
The blaze of Godlike thought and golden bliss,
The rapt idealism of heavenly sense;
There are the wonderful voices, the sun-laugh,
A gurgling eddy in rivers of God’s joy,
And the mysteried vineyards of the gold moon-wine,
All the fire and sweetness of which hardly here
A brilliant shadow visits mortal life.
वहां पर दिव्य ज्वाला के परम धाम का रहस्य है,
देवोपम संकल्प और स्वर्णिम आनन्द की दीप्ति है,
स्वर्गिक इन्द्रियबोध का तन्मय आदर्शवाद है;
यहा अद्भुत वाचाएं हैं और धूप-सम गुंजित हास्य हैं,
प्रभु की आनन्दोल्लासित सरिताओं का एक हरहराता भंवर है,
और सुनहरे शशि-सोमरस के रहस्यपूर्ण अंगूरी लता के कुंज हैं,
वहां के तप्त-उत्साह और सम्पूर्ण माधुर्य की
एक उज्ज्वल छाया मात्र अति कठिनाई से यहां नश्वर जीवन तक आ पाती है।
Although are witnessed there the joys of Time,
Pressed on the bosom the Immortal’s touch is felt,
Heard are the flutings of the Infinite.
यद्यपि पूर्ण काल के सकल सुख वहां दिखायी देते हैं,
तथापि हमारे वक्ष पर प्रभु के अमर स्पर्श का अनुभव भी होता है,
चिरन्तन लीलाधारी की वंशी भी सुनायी देती है।
Here upon earth are early awakenings,
Moments that tremble in an air divine,
And grown upon the yearning of her soil
Time’s sunflowers gaze at gold Eternity:
There are the imperishable beatitudes.
यहां इस धरती पर हमारे आरम्भिक जागरण हैं,
वे क्षण भी यहां हैं जो दिव्य समीर में कम्पितपुलकित होते हैं,
उसकी माटी की लालसा से उत्पन्न विकसित हो
कालजगत के सूर्यमुखी पुष्प स्वर्ण चिरन्तन के सूर्य को निहारते हैं:
यहां पर भी उस अविनाशी के आनन्द रूप हैं।
A million lotuses swaying on one stem,
World after coloured and ecstatic world
Climbs towards some far unseen epiphany.
एक कमल नाल पर लाखों कमल सुशोभित डोल रहे हैं,
रंगीन और उल्लसित लोक के बाद लोक हैं
जो सुदूर की अदृश्य प्रभु-ज्योति की ओर चढ़ते जाते हैं।
On the other side of the eternal stairs
The mighty kingdoms of the deathless Flame
Aspired to reach the Being’s absolutes.
उन शाश्वत सोपानों के दूसरी ओर
अमर देव-ज्वाला के सामर्थ्यशाली साम्राज्य थे
जो परम सत्ता की चरमताओं तक पहुंचने की अभीप्सा करते थे।
Out of the sorrow and darkness of the world,
Out of the depths where life and thought are tombed,
Lonely mounts up to heaven the deathless Flame.
भौतिक जगत के संताप और तमस् से बाहर उठ,
उन गर्तों से जहां जीवन और संकल्प दोनों दफन हैं, बाहर निकल,
एकाकी जीव हैं जो स्वर्ग और अमर दिव्याग्नि कीओर आरोहण करते हैं।
In a veiled Nature’s hallowed secrecies
It burns for ever on the altar Mind,
Its priests the souls of dedicated gods,
Humanity its house of sacrifice.
आवृत त्रिगुणी प्रकृति की खोखली रहस्यमयताओं के अन्तर में
यह अग्नि सत्य-अन्तर्मन की वेदी पर सतत प्रज्वलित है,
समर्पित देवों की अन्तरात्माएं इसकी होता हैं,
और मानवता इसके यज्ञ का कक्ष है।
Once kindled never can its flamings cease.
एक बार प्रज्वलित हो इसकी ज्वाला कभी बुझ नहीं सकती।
A fire along the mystic paths of earth,[279]
It rises through the mortal’s hemisphere,
Till borne by runners of the Day and Dusk
It enters the occult eternal Light
And clambers whitening to the invisible Throne.
धरा के गुह्य पथों को समानान्तर प्रज्वलित एक अग्नि है,
यह मर्त्य जगत् के अर्ध-गोलार्ध से ऊपर उठती है,
इसे चिरकालिक दिवस और रात्रि के धावक तब तक वहन करते हैं
जब तक यह शाश्वत गुह्य परम-ज्योति में प्रवेश नहीं कर जाती
और विशुद्ध शुभ्र बनी उस अदृश्य सत्य-सिंहासन पर आरूढ़ नहीं हो जाती।
Its worlds are steps of an ascending Force:
A dream of giant contours, titan lines,
Homes of unfallen and illumined Might,
Heavens of unchanging Good pure and unborn,
Heights of the grandeur of Truth’s ageless ray,
As in a symbol sky they start to view
And call our souls into a vaster air.
एक आरोहणशील महाशक्ति की सीढ़ियां इसके लोक हैं:
विराट् परिधियों का एवं विशाल रेखाओं का एक स्वप्न हो जैसे,
अपतित, प्रबुद्ध दिव्य-सामर्थ्यों के धाम हैं,
अविकारी, विशुद्ध और अजात परम-शिव के स्वर्ग हैं,
परम-सत्य की चिरकुमारी किरण की ऐश्वर्यमयी उच्चताएं हैं,
और जैसे कि वे एक प्रतीक आकाश में दिखायी देती हों
और हमारे जीवों को एक विशालतरवातावरण में आमन्त्रित करती हों।
On their summits they bear up the sleepless Flame;
Dreaming of a mysterious Beyond,
Transcendent of the paths of Fate and Time,
They point above themselves with index peaks
Through a pale-sapphire ether of God-mind
Towards some gold Infinite’s apocalypse.
अपनेशिखरों पर वे उस सजग परम-ज्वाला को धारण किये हैं;
एक गुह्य परात्पर ईश का स्वप्न देखती वे
दैवी नियति और दिक्काल के पार्थिव पथों से अछूती रहती हैं,
निज संकेत-सूचक शिखरों से अपने ऊर्ध्व की ओर इशारा करती,
वे दिव्य-मानस के पीत नीलमणि विद्युति व्योम के परे
किसी स्वर्णिम शाश्वतता के श्रुति-उद़्घाटन कीओर संकेत करती है।
A thunder rolling mid the hills of God,
Tireless, severe is their tremendous Voice:
Exceeding us, to exceed ourselves they call
And bid us rise incessantly above.
ईश की उच्चताओं के मध्य एक वज्र गर्जन ध्वनि व्याप्त है,
यह अथक, अपने तुमुलघोरनाद में अति कठोर, अविराम है:
हमें स्वयं से बढ़ जाने को, अतिक्रमण करने को वे पुकारते हैं
और हमें सतत भाव से उन्नत हो चढ़ने की आज्ञा देते हैं।
Far from our eager reach those summits live,
Too lofty for our mortal strength and height,
Hardly in a dire ecstasy of toil
Climbed by the spirit’s naked athlete will.
हमारी उत्सुक पहुंच से अति दूर वे महत्ताएं बसती हैं
हमारे मर्त्यबल और पराकाष्ठा के लिए वे अति महती हैं,
केवल परिश्रम के एक घोर हर्षावेग में
आत्मा के नग्न खिलाड़ी संकल्प द्वारा हीइन पर चढ़ पाते हैं।
Austere, intolerant they claim from us
Efforts too lasting for our mortal nerve
Our hearts cannot cleave to nor our flesh support;
Only the Eternal’s strength in us can dare
To attempt the immense adventure of that climb
And the sacrifice of all we cherish here.
वे अतिसंयमी और सहिष्णु सदैव हमसे उस प्रयास की मांग करते हैं
जो हमारे इन नश्वर शरीर-कोषाणुओं के लिए अतिदीर्घ है
हमारे प्राण इसको हृदयंगम नहीं कर सकते न ही देह इसका आधार बन सकती है;
केवल अपनी अन्तर्निहित चिरन्तन की शक्ति द्वारा हम प्रयास करके
उस आरोहण की भीषण यात्रा का साहस कर सकते हैं
और जिसके लिए हमें पार्थिव जीवन के सकल प्रिय मूल्यों का बलिदान देना होता है।
Our human knowledge is a candle burnt
On a dim altar to a sun-vast Truth;
Man’s virtue, a coarse-spun ill-fitting dress,
Apparels wooden images of Good;
Passionate and blinded, bleeding, stained with mire[280]
His energy stumbles towards a deathless Force.
हमारा मानवीय ज्ञान तो धूमिल पूजावेदी पर जली एक मोमबत्ती है
जो सूर्य सम विशाल परम-सत्य का मार्ग दिखाती है
मानव के सद़्गुण, एक खुरदुरी बेडौल बनी पोशाक है;
जो मानव कल्याण की काष्ठ प्रतिमाओं का परिधान है;
आसक्त और अन्धी, खूनी, पाप पंक से कलंकित होकर भी
लड़खड़ाती मानवीय-ऊर्जा एक अमर दिव्य तपस् कीओर सतत बढ़ती जाती है।
An imperfection dogs our highest strength;
Portions and pale reflections are our share.
हमारे सर्वोच्च बल के साथ एक अपूर्णता साथ लगी रहती है;
आंशिक और निस्तेज विचार ही हमारे हिस्से में आते हैं।
Happy the worlds that have not felt our fall,
Where Will is one with Truth and Good with Power;
Impoverished not by earth-mind’s indigence,
They keep God’s natural breath of mightiness,
His bare spontaneous swift intensities;
There is his great transparent mirror, Self,
And there his sovereign autarchy of bliss
In which immortal natures have their part,
Heirs and co-sharers of divinity.
अति सुखी हैं वे लोक जिन्होंने हमारे पतन को नहीं भोगा है,
जहां संकल्प परम सत्य से एवं शिव और सत्य-शक्ति से जुड़ा है;
पार्थिव मनकी दरिद्रता से कंगाल नहीं बना है,
वे ईश की सामर्थ्य के स्वाभाविक प्राण को रख पाते हैं,
प्रभु की आवरणहीन सहज तीव्र प्रखरताएं उनमें विद्यमान हैं;
वहां पर उसकी महान् पारदर्शी दर्पण-रूपी आत्मा प्रकट है,
और वहां उसके परमानन्द के एकाधिपत्य का एकछत्र शासन है
जिसमें अमर स्वभाव अपनी भूमिका निबाहते हैं,
वे देवत्व के उत्तराधिकारी और सहभागीदार हैं।
He through the Ideal’s kingdoms moved at will,
Accepted their beauty and their greatness bore,
Partook of the glories of their wonder fields,
But passed nor stayed beneath their splendour’s rule.
अश्वपति उन विज्ञानमय राजधानियों में स्वेच्छा से भ्रमण करता रहा,
उनकी रमणीयता को स्वीकारा और उनकी महत्ता को धारण किया,
उनके अद्भुत क्षेत्रों की भव्यताओं में हिस्सा लिया,
किन्तु उनके गौरवान्वित शासन तले ठहरा नहीं, आगे बढ़ गया।
All there was an intense but partial light.
सकल वहां तेजोमय था किन्तु यह प्रकाश भी आंशिक था।
In each a seraph-winged high-browed Idea
United all knowledge by one master thought,
Persuaded all action to one golden sense,
All powers subjected to a single power
And made a world where it could reign alone,
An absolute idea’s perfect home.
प्रत्येक में एक तेजस्वी पंखधारी उच्चस्तरीय विज्ञान-भाव ने
सकल ज्ञान को एक प्रमुख प्रतिभाशाली संकल्प द्वारा जोड़ दिया,
प्रत्येक क्रिया को एक स्वर्णिम बोध का विधान स्वीकारना पड़ा,
सम्पूर्ण शक्तियों को एक अकेली शक्ति के अधीन कर दिया
और एक ऐसे संसार का निर्माण कर लिया जहां यह एकाकी शासन कर सके,
एक निरंकुश आदर्श विज्ञान का परिपूर्ण धाम था।
Insignia of their victory and their faith,
They offered to the Traveller at their gates
A quenchless flame or an unfading flower,
Emblem of a high kingdom’s privilege.
उन्होंने अपनी विजय और अपने विश्वास का राज्य-चिह्न
अपने द्वारों पर उस योगी यात्री को सादर भेंट दिया
यह एक अशमित ज्वाला थी एक अविनाशी पुष्प था,
एक श्रेष्ठ साम्राज्य के विशेषाधिकार का प्रतीक था।
A glorious shining Angel of the Way
Presented to the seeking of the soul
The sweetness and the might of an idea,
Each deemed Truth’s intimate fount and summit force,
The heart of the meaning of the universe,
Perfection’s key, passport to Paradise.
उस महापथ के एक शोभायमान द्युतिमान देवदूत ने
उस अन्तरात्मा की जिज्ञासा को एक उपहार भेंट दिया
मधुरता और सामर्थ्य के एक भाव का
प्रत्येक ने स्वयं को परम सत्य का अभिन्न उद़्गम और शक्ति का शिखर माना,
इस विश्व की सार्थकता का सत्य हृदय
परिपूर्णता की कुंजी, स्वर्ग का पारपत्र माना।
Yet were there regions where these absolutes met
And made a circle of bliss with married hands;
Light stood embraced by light, fire wedded fire,[281]
But none in the other would his body lose
To find his soul in the world’s single Soul,
A multiplied rapture of infinity.
फिर भी वहां ऐसे क्षेत्र थे जहां ये परिपूर्णता, भेंटतीं
और फिर गठबन्धित करों को जोड़ आत्मानन्द का एक घेरा बना लेतीं;
ज्योति को ज्योति आलिंगन में भर लेती, अग्नि अग्नि से जुड़ जाती,
किन्तु कोई सत्ता इस लोक के अकेले परमात्मा में स्वयं को पा लेने को,
दूसरे में अपने आकार को लोप नहीं होने देती थी,
सबमें चिरन्तन का एक बहुगुणित हर्षोल्लास था।
Onward he passed to a diviner sphere:
There, joined in a common greatness, light and bliss,
All high and beautiful and desirable powers
Forgetting their difference and their separate reign
Become a single multitudinous whole.
अब योगी और आगे एक दिव्यतर स्तर की ओर बढ़ गया:
वहां, समस्त एक सर्वसहज महत्ता, प्रकाश और आत्मानन्द में जुड़ा था,
सकल उन्नत और सुन्दर और कमनीय शक्तियां
अपने भेदभावों और पृथक् साम्राज्यों को विस्तृत कर
एक अकेली बहु-विविधताओं की सम्पूर्णताबन गयीं।
Above the parting of the roads of Time,
Above the Silence and its thousandfold Word,
In the immutable and inviolate Truth
For ever united and inseparable,
The radiant children of Eternity dwell
On the wide spirit height where all are one.[282]
त्रिकालीय पथों के विभाजन के ऊर्ध्व में,
पूर्ण निःशब्दताऔर इसकी सहस्र परतों के आदि शब्द के ऊर्ध्व में,
उस निर्विकारी और अक्षत चिर सत्य में
सतत संयुक्त और अपृथकनीय
चिरन्तन के तेजस्वी बालकवृन्द बसते हैं
उस विस्तृत आत्म-शिखर पर जहां सब एक हैं।
END OF CANTO TWELVE